"शुरुआत "
"शुरुआत "
बहुत खूबसूरत वो शामें होती है
जो तेरे साथ गुज़रती है।
न जाने क्या बात है तेरी मौजूदगी में
हर बात रूह में उतरती है।
बोले न लफ्ज कुछ भी मगर
निगाहें सब कुछ बयाँ करती है।
खामोशियाँ रहे बस दरमियाँ
यूँ ही तो कहानियाँ शुरू होती है।

