'ना रुकना कभी... '
'ना रुकना कभी... '
ना रुकना कभी एक बार जो बढ़े तुम।
मंज़िल को पाओ ना जब तक तुम
थमना ना थकना तुम।
हो चाहे कितनी भी कठिनाइयां
उन सब से लड़ना तुम।
घिरो अगर अंधेरों से तो
रखना ऐतबार उजाला जल्द ही है
ना मानना कभी हार
क्योंकि जीत जल्द ही है।
रखो हिम्मत जूजने की
हर तूफ़ान में डटे रहने की,
राह में कांटे हो चाहे जितने ही
आगे छाई है बहार फूलों की।
उम्मीद को रखना बांधे,
हौसले को रखके संग
बढ़ते रहना
ना थमना तुम।
ना रुकना कभी एक बार जो बढ़े तुम।
