शतरंज सी है जिन्दगी
शतरंज सी है जिन्दगी
जीवन की बिसात पर पसरी हुई अल्लहड़ सी जिन्दगी
पल में हँसाती तो कभी रुलाती शतरंज सी है जिन्दगी।
ऊँची पर्वत माला से गिर कलकल धारा सी तरंगित बन्दगी
फूलों की तरह हँसती कभी मुस्कुराती शतरंज सी है जिन्दगी।
आवारा बादल बन ठुमक कर मौजों की मस्तानी सी लहराती
मेघों की बारिश में आँसू सी बह निकलती शतरंज सी है जिन्दगी।
जीवन के चक्रव्यूह मे सुबह शाम उलझे धागों सी ज्यूँ बिखरती
कभी सुलझती और कभी उलझती जाती शतरंज सी है जिन्दगी।
शतरंज की बिसात पर ढाई घर घोड़ा चले ,हाथी की सीधी चाल
राजा वज़ीर ऊँट और प्यादा के चालों वाली यह शतरंज सी जिन्दगी।
सीधे रास्तो पर टेढ़ी चाल चलने के लिये भी मजबूर कर देती है कभी
सुख दुख के खानों वाली भावुक हृदय "इरा "की शतरंज सी जिन्दगी।