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Ajay Singla

Classics

3  

Ajay Singla

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श्रीमद्भागवत - २२ - कामनाओं अनुसार विभिन्न देवताओं की उपासना

श्रीमद्भागवत - २२ - कामनाओं अनुसार विभिन्न देवताओं की उपासना

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इच्छा हो अगर ब्रह्मतेज की 

बृहस्पति की उपासना करे वो 

विशेष शक्ति इन्द्रियों की चाहिए 

इंद्र की पूजा करे वो|


संतान की लालसा के लिए 

प्रजापतियों की उपासना 

माया देवी की पूजा करे 

जिसको लक्ष्मी की वासना| 


तेज चाहिए जिसे, वो अग्नि की 

वसुओं की, धन चाहिए जिसे 

और जिसे वीरता की चाह हो 

रुद्रों की वो उपासना करे| 


जिसे चाहिए बहुत अन्न 

अदिति की वो पूजा करे

और जिसे स्वर्ग की चाह हो 

देवताओं की वो उपासना करे| 


विशवदेवी का ध्यान करे वो 

अभिलाषा हो जिसे राज्य की 

प्रजा को अनुकूल बनाने के लिए 

आराधना साध्य देवताओं की| 


आयु की इच्छा करता जो

उसे देते हैं, अश्वनी कुमार जी

प्रतिष्ठा की इच्छा हो अगर 

आराधना पृथ्वी और आकाश की| 


सौंदर्य की चाह अगर है

गंधर्वों की आराधना करो तुम

पत्नी प्राप्ति के लिए

उर्वशी की उपासना करो तुम|


सबके स्वामी अगर बनना चाहो

ब्रह्मा की आराधना करनी चाहिए

यश की इच्छा हो अगर तो

यज्ञपुरुष को भजना चाहिए|


खजाने के लिए वरुण की और 

विद्या प्राप्ति के लिए शंकर की

पति-पत्नी में प्रेम की लिए

उपासना करो तुम पार्वती की|


धर्म उपर्जन के लिए तुम 

करो, विष्णु जी की पूजा 

पितरों की तुम करो उपासना 

करने वंश परंपरा की रक्षा| 


यक्षों की तुम करो आराधना 

बाधाओं से बचने के लिए 

बलवान अगर तुम होना चाहो 

मरुद्गणों को भजना चाहिए| 


राज्य के लिए आराधना करो 

मन्वन्तरों के अधिपति देवों की 

चन्द्रमाँ की पूजा करो तुम 

अगर प्राप्ति करनी भोगों की| 


निष्कामना प्राप्त करनी है 

नारायण को भजना चाहिए 

और जो बुद्धिमान पुरुष हैं 

उन्हें कृष्ण के रंग में रंगना चाहिए| 


शुकदेव की कथा सुन, परीक्षित जी ने 

ममता त्यागी एक क्षण में 

मोह माया को था त्याग दिया 

कृष्ण बसा लिए अपने मन में| 


शुकदेव जी से फिर पूछें परीक्षित 

भगवान कैसे सृष्टि रचना करें 

कैसे वो करें उसका पालन

कैसे फिर उसका संहार करें|


सुनकर प्रश्न परीक्षित का फिर 

शुकदेव जी कहें, कर स्मरण कृष्ण का 

उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय के लिए 

रूप धरें, ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का| 


भगवान स्वयं तो अनंत हैं

और अनंत उनकी महिमा भी

प्रश्नों का उत्तर दें शुकदेव जी

पहले करें वो स्तुति कृष्ण की|


जो तुने पुछा है मुझसे 

नारद ने ब्रह्मा से यही प्रश्न किया था 

नारायण ने जो उपदेश दिया ब्रह्मा को 

उन्होंने नारद को वही कहा था|


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