तू फिर से मुस्कुरा
तू फिर से मुस्कुरा
भींगी आँखों को तुने हर वक्त हँसाई,
टूटा मैं जब- जब भी,तुने की मेरी हौसलाअफजाई।
सुखे होठों पे तुने मुस्कान की मिठास लाई।
था मैं अकेला इस जहां में,
तुने उम्मीद की छत बनकर आई ।
'आसमां' बन मेरी जिंदगी में
खुशी के बादल की परत जगाई।
उगा घाव जब भी मुझपर,
तुने अपनी मुस्कान से कर दी सफाई।
जब घाव आज मिली है तुझे,
दर्द में कितनी तुम तड़पी होगी !
लेकिन मैं विवश हूँ पत्थर बनने को,
तेरा दर्द भी खुद पे ले न पाया !
काश ! मैं महसूस कर पाता तेरी तकलीफ को !
काश ! मैं तेरे पास, तेरे साथ रहकर
तेरी हिफाज़त कर पाता मैं ।
कैसे मैं बतलाऊँ अपनी मजबूरी को,
तुम सुन न सकी,न मैं कह ही पाया।
जल्दी लौट आ उसी हाशिये पे तू !
ओ मेरी नटखट, तू शरारत कर मुझसे !
फिर से आज मुस्कुरा,
उसी हाशिये पे तू जल्दी लौट आ।