Suresh Kulkarni
Classics
रंज था रंग नहीं जम रहा इस महफिल में
उनके आनेसे हो गयी है रंगीन ये महफिल
इश्क क्या चीज है समझ गया हूॅं अब मैं
ताजगी रोशनी जो भरी यकायक महफिल में
इनके सिवा ये महफिल थी क्याॅं रोशनी कहाॅं
यही तो है शमा जो जलती है परवाने के लिये।
समझा करो!
मनाऊ कैसे!
होरी
नही भटकना
जिंदगी
तुम
नाम लो !
इशारा करो !
किस्मत!
दिल से
मुट्ठी से सरसों की जैसी उम्र भी झरती रही। मुट्ठी से सरसों की जैसी उम्र भी झरती रही।
बारिशों का, अश्कों से रिश्ता पुराना है। बारिशों का, अश्कों से रिश्ता पुराना है।
नतमस्तक हैं इनके आगे सारे मेरे रघुनंदन मुझे सबसे प्यारे! नतमस्तक हैं इनके आगे सारे मेरे रघुनंदन मुझे सबसे प्यारे!
ज़िंदगी हैं, वो किस्सों को, फ़िर बार बार दोहराएगी। ज़िंदगी हैं, वो किस्सों को, फ़िर बार बार दोहराएगी।
हक़ीक़त में यही तो प्यार का किरदार होता है।। हक़ीक़त में यही तो प्यार का किरदार होता है।।
फिर भी निशब्द है क्योकि इस पितृसत्तामक समाज में बेटी है वो। फिर भी निशब्द है क्योकि इस पितृसत्तामक समाज में बेटी है वो।
मैं तो तुम बन गई ना क्या तुम भी मैं बन गए हो सच कहना ना जरा। मैं तो तुम बन गई ना क्या तुम भी मैं बन गए हो सच कहना ना जरा।
इनको उगाना और संजोना सबका उत्तरदायितत्त्व है वरना कहीँ यें ना हो जाएं लुप्त।। इनको उगाना और संजोना सबका उत्तरदायितत्त्व है वरना कहीँ यें ना हो जाएं लुप्त।।
इनके मुखौटे पर दिखती हैं इनके दिल की हर बात...... इनके मुखौटे पर दिखती हैं इनके दिल की हर बात......
तो कभी रिमझिम बरसेंगे आंसू कुछ तेरी आंखों से तो कुछ मेरी आंखों से तो कभी रिमझिम बरसेंगे आंसू कुछ तेरी आंखों से तो कुछ मेरी आंखों से
वृक्ष कहीं ना विलुप्त हों, ऋतुओं को सहेज़कर धरो ! वृक्ष कहीं ना विलुप्त हों, ऋतुओं को सहेज़कर धरो !
परिस्थिति कभी भी बदल सकता है, मगर नियति का लिखा कोई नहीं बदल सकता है। परिस्थिति कभी भी बदल सकता है, मगर नियति का लिखा कोई नहीं बदल सकता है।
नहीं है मुझमे भी कुछ बाकी बचा ये कहती है तनहा से खली वफ़ाएं I नहीं है मुझमे भी कुछ बाकी बचा ये कहती है तनहा से खली वफ़ाएं I
यादें तेरी मुझे इतनी आती है, हमारा मिलन आज कल आसमान में होती है ।। यादें तेरी मुझे इतनी आती है, हमारा मिलन आज कल आसमान में होती है ।।
गूंगे का गुड़ ज्यों, प्रेम भाषायें निर्विवाद। गूंगे का गुड़ ज्यों, प्रेम भाषायें निर्विवाद।
जब तू मुझमें समा जाए और, मैं तुझमें खो जाऊँ। जब तू मुझमें समा जाए और, मैं तुझमें खो जाऊँ।
कुछ कुछ उस चमकते चाँद की मानिंद सुनहरा सा तुम्हारा मासूम चेहरा चमकता है ! कुछ कुछ उस चमकते चाँद की मानिंद सुनहरा सा तुम्हारा मासूम चेहरा चमकता है !
होती हूँ ,उसी चाय के ठेले पर,, मन भीगता रहता है मैं चाय पीती रहती हूँ। होती हूँ ,उसी चाय के ठेले पर,, मन भीगता रहता है मैं चाय पीती रहती हूँ।
तुम ही महकते बासंती बयार हाँ तुम मौसम ही तो हो..! तुम ही महकते बासंती बयार हाँ तुम मौसम ही तो हो..!