श्रीमद्भागवत - १२ ;गर्भ में परीक्षित की रक्षा
श्रीमद्भागवत - १२ ;गर्भ में परीक्षित की रक्षा


पांडवों ने की अंत्येष्टि उनकी
भाई बन्धु रण में मरे जो
गंगा तट पर फिर जा पहुंचे
तर्पण उनका करने को वो।
युधिष्ठर, धृतराष्ट्र, गांधारी
द्रोपदी, कुंती, शोक करें सभी
कृष्णा वहां समझाएं सबको
प्राणी काल के आधीन हैं सभी।
युधिष्ठर को राज्य दिलाया
कृष्ण उनके पास तब आये
कृष्ण कहें अब आज्ञा दो मुझे
अब हम अपने द्वारका जाएं।
रथ पर सवार हुए ही थे कि
उतरा भागति भागति आई
भय से विह्वल हो रही वो कहे
रक्षा करो मेरी गोसाईं।
आप सर्व शक्तिमान हैं
दहकता बाण मेरी ओर है आए
अपनी जान की ना परवाह मुझे
गर्भ को कुछ मेरे हो न जाये।
समझ गए श्री कृष्ण कि ये है
ब्रह्मास्त्र जो अश्व्थामा चलाये
ताकि पांडवों का वंश ये
सदा के लिए निर्जीव हो जाये।
पांच बाण पांडव भी देखें
उनकी तरफ हैं बढ़ते जाएं
सुदर्शन चक्र से कृष्ण फिर
पांडवों को उनसे बचाएँ।
पांडवों का वंश बचाने को
कृष्ण ने उतरा का गर्भ ढक दिया
यद्दपि ब्रह्मास्त्र अमोघ है
पर कृष्ण ने उसको शांत कर दिया।