शक्ति
शक्ति
एक परमात्मा को तोड़कर बना दिए उसने
दो लिंग, जिनके जीवन चक्र हेतु
तीन देव बता दिए जो रम गए
चार ओर उसके और
पांच तत्वों से बने उसके शरीर को दे दी
छः इन्द्रियां, छटी इन्द्री पा वह सोचने लगा बनने को
सात आसमानों का मालिक व
आठ दिशाओं का स्वामी, तब
नौ रूपों में आई देवी को पंडाल में बंद कर
दस विद्या युक्त को मानने लगा - एक शून्य.
...
और बदल दिए उसने शक्ति के मायने.