शिक्षक
शिक्षक
विद्या के प्रांगण में ज्ञान ज्योति का दाता है
यह शिक्षक हम सब का भाग्य विधाता है।
संस्कृति के पाठ से चरित्र निर्माण करता है
धैर्य से शिशु का भविष्य उज्ज्वल करता है।
निस्वार्थ भाव से हर विषय की है शिक्षा देता
हर सवाल के जवाब से संशय को दूर भगाता।
जीवन की दशा बदलने की दिशा वही दिखाता
आत्मीयता और अपनेपन की नींव वही डालता।
सहयोग और प्रेम की भावना से ओतप्रोत रहता
प्रेरणा और प्रोत्साहन से प्रतिभा को निखारता।
रुचि अरुचि की पहचान से बदलाव भी अपनाता
निपुणता से अपनी सबका अज़ीज़ वह बन जाता।
शत शत नमन उनको करते हैं।
मान सम्मान उनका हम करते हैं।