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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

"शिक्षक"

"शिक्षक"

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काम करता,शिक्षा की अलख जगाने का।

नाम मिला,उसे शिक्षक,काम है,पढ़ाने का।।

खुद जल,काम करता रोशनी फैलाने का।

सब कहते गुरु,जो कर्म करे तम मिटाने का।।


इस दुनिया मे एकमात्र पद है,शिक्षक का।

जो भला चाहता है,इस दुनिया मे सबका।।

जैसे अर्जुन ने नाम बढ़ाया था,गुरु द्रोण का।

वैसे ही उसके,शिष्य नाम रोशन करे,उसका।।


एक गुरु चाहता है,वो भले रहे,टुकड़ा गुड़ का।

उसके शिष्य बने,मणभर मनका शक्कर का।।

एक सच्चा ही गुरु तराशता है,हीरा पत्थर का।

अमावस से एक गुरु ही चांद उगाता,पूनम का।।


गुरु बिना ज्ञान नही मिलता है,इस जीवन का।

जिनको साथ मिला,अपने सतगुरु समर्थ का।।

वह तो एक कोयले से हीरा बना,कोहिनूर का।

यह हुआ,जब गुरु ने बहाया खून-पसीना अपना।।


कोई इंसान से तभी यहां पर देवता बन सका

जब उसे आशीर्वाद मिला,अपने सतगुरु का।।

आओ अपने गुरु पर यकीं करे,सारे जहां का ।

फिर देखो,वो कैसा बनाता सितारा फ़लक का।।



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