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अनिल कुमार निश्छल

Drama

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अनिल कुमार निश्छल

Drama

शिक्षक और विद्यार्थी जीवन

शिक्षक और विद्यार्थी जीवन

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रगड़-रगड़ के जीवन को मधुमय अमृत पान कराते हैं;

कुछ इस तरह ही शिक्षक शिष्यों को जीवन ज्ञान कराते हैं।


आती कितनी भी बाधाएँ जीवन में कहीं भी कभी भी;

कैसे आजमाने होंगे पैतरे अपने इसका भान कराते हैं।


विद्या से सुदृढ़ होता मस्तिष्क बुद्धि विवेक भी आता है;

कुछ इस तरह विद्या की

अचल संपत्ति से सबकी पहचान कराते हैं।


हर तरह से ताउम्र कोशिश में लगे रहते देखिये जरा;

उन्नत होता माथा सबका जब-जब छात्र उन्नति पाते हैं।


शिक्षक निर्माता कहलाता समाज का हरदम यूँ ही नहीं;

एक-एक ईंट से ही सुसज्जित भवन निर्माण कराते हैं।



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