शिक्षक और विद्यार्थी जीवन
शिक्षक और विद्यार्थी जीवन
रगड़-रगड़ के जीवन को मधुमय अमृत पान कराते हैं;
कुछ इस तरह ही शिक्षक शिष्यों को जीवन ज्ञान कराते हैं।
आती कितनी भी बाधाएँ जीवन में कहीं भी कभी भी;
कैसे आजमाने होंगे पैतरे अपने इसका भान कराते हैं।
विद्या से सुदृढ़ होता मस्तिष्क बुद्धि विवेक भी आता है;
कुछ इस तरह विद्या की
अचल संपत्ति से सबकी पहचान कराते हैं।
हर तरह से ताउम्र कोशिश में लगे रहते देखिये जरा;
उन्नत होता माथा सबका जब-जब छात्र उन्नति पाते हैं।
शिक्षक निर्माता कहलाता समाज का हरदम यूँ ही नहीं;
एक-एक ईंट से ही सुसज्जित भवन निर्माण कराते हैं।
