शीर्षक -नारी का शिवत्व
शीर्षक -नारी का शिवत्व
होश संभाला जबसे
यही कहते सुना सबसे
नारी खामोश रहे अगर तो
सारे अत्याचार चुप रहकर सहे
अगर कोई छेड़े तो सह लो
अपमान का जहर पीकर
शिवत्व को प्राप्त करो,
सारे बंधनों की जंजीरों में रहकर
तुम घर की दहलीज के अंदर ही
घुट-घुट कर यूं ही जीवन व्यतीत करो,
तभी शांति का वास हो घर में
तभी इज्जत बनी रहे समाज में
काश!! अगर जिंदगी दूसरा मौका दे
तो शायद अब सब इन बातों को
उल्टा करके नए सिरे से
नई परिभाषाओं के साथ
एक बार जरूर जी कर देखूं।
