शहर की शाम होती है बड़ी खास
शहर की शाम होती है बड़ी खास
शहर की शाम बड़ी खास होती है।
हर वह इंसान जो सुबह को घर से ऑफिस को जाता है ।
वह शाम को वापस थक हार कर सुकून के पल अपने अपने घर वापस आता है।
बच्चे भी खेल कूद कर वापस अपने घर आते हैं।
रास्ते पर ट्रैफिक जाम की बहार होती है।
घर जाने की जल्दी में हॉर्न पर हॉर्न बजाते लोग जैसे गाना सुना रही होती है।
सब्जी फल वालों की आवाज लोगों को बुला रही होती है।
ट्रैफिक से भरी हुई सड़के सबको जाने की जल्दी होती है।
रात पड़े शहर रोशनी से
नहाए होते हैं।
पत्नी अपने घर पति के आने की बाट जोह रही होती है।
सबके मन में एक आशा और उमंग का संचार होता है।
शहर की शाम बड़ी खास होती है।
घर में चाय समोसे नाश्ते की बहार होती है।
शहर की शाम बड़ी खास होती है।
स्वरचित कविता
