शहीद
शहीद
ओ महलों में रहने वाले,
तुम्हे क्या खबर तुम्हारे चैन की
कौन कीमत देता है?
वह देश का सिपाही
तपती धरती, बर्फीली चट्टानों पर,
दिन रात पहरा देता है।
छोड़ के अपनी माँ का आँचल
वो धरती माँ पर बलिहारी है।
दुश्मन को धूल चटाता,
वह हर आतंकी पर भारी है।
क्यों नम नही होती तुम्हारी आंखे?
क्यों दिल नही पसीजता तुम्हारा?
उसने जान दी तुम्हारे लिये
वो सजग प्रहरी हमारा।
क्या दिवाली, क्या होली?
कभी न मनायी उसने ईद।
ठोक के सीना हमेशा तत्पर
दुश्मन को करता भयभीत।
शत शत नमन उस माँ को
जिसने उसे जन्म दिया।
शहीद हो गया मातृभूमि पर,
दुश्मन ने जब आक्रमण किया।
अक्षुरूपी पुष्प उसकी
शहादत पर बिछाते हैं,
क्या चुका पायेंगें हम ऋण उनका
जो अपना सर्वस्व हम पर लुटाते हैं।