शहीद
शहीद
सेना के वो जवान,जो कर देते
अपना सब कुछ बलिदान
कहे जाते शहीद
मानता हूं ये सब एकदम सही है,
पर क्या हमारा समाज वही है
बैठा एक सड़क के कोने,
बेचता केले, लगाकर ठेले
क्या नहीं हुआ वो शहीद
कमरे के कोने में बैठा करता तैयारी,
की एक दिन पडेगा सब पार भारी
क्या नहीं वो शहीद
जीवनचक्र संघर्षों से गुजरा,
हिल गया काया का पुरजा पुरजा
क्या नहीं वो शहीद
कोई लेता 100, कोई लेता 200,
उसी काम के, बिना नाम के
क्या नहीं वो शहीद
मां ने अपना जीवन करा
परिवार पर न्योछावर
क्या नहीं वो शहीद
जो सिस्टम की भेंट चढ़ा,
दर-दर भटक नीचे गिर पड़ा
क्या नहीं वह शहीद
शहीदी का कोई नियत नहीं है स्थान
है वह सब लोग महान
जो चलते रहते आगे बढ़ने के लिए
और अपनों को आगे रखने के लिए
इस पूरी दुनिया से देश के लिए लड़ने के लिए
वह सब शहीद।