Priyesh Pal
Abstract
इधर,
आतंकी ढेर !
उधर,
नौजवान शहीद।
सूरतें दो,
देश दो,
जानें ?
न जाने कितनी।
सत्य और सूर्य
हमारा अजन्मा ...
गुरु! मेरा कौ...
अभिनेता
सोचा है कभी?
मैं देखता हूँ
पिंजरे में भव...
मृत्यु! इक सत...
मैं सीखना चाह...
घर
सुन्दर दिखता अम्बर भी है जो ठंडी का कोप सहा।। सुन्दर दिखता अम्बर भी है जो ठंडी का कोप सहा।।
उदासी की बहती हुयी हवा में आंखें झेलती हैं उदासी का दंश। उदासी की बहती हुयी हवा में आंखें झेलती हैं उदासी का दंश।
ज़रा ध्यान रखना अपनी प्रिय मिथ्या का कहीं उसे भगा ना ले जाऊँ। ज़रा ध्यान रखना अपनी प्रिय मिथ्या का कहीं उसे भगा ना ले जाऊँ।
कर्तव्य पालन कर जीवन के पथ पर मैं बढ़ रहा हूँ I कर्तव्य पालन कर जीवन के पथ पर मैं बढ़ रहा हूँ I
तुम्हारे गालों पर अपने लबों से गिरते शहद की बारिश करने जा रही हूँ आँखें मूँदे महसूस क तुम्हारे गालों पर अपने लबों से गिरते शहद की बारिश करने जा रही हूँ आँखें मूँद...
लग रहा है आदमी को घेरे हुये विचार बरस रहे हैं पानी की तरह लग रहा है आदमी को घेरे हुये विचार बरस रहे हैं पानी की तरह
जीवंत हैं हम इसलिये हर गुजरते हुये पल में जीवंतता को देख लेते हैं। जीवंत हैं हम इसलिये हर गुजरते हुये पल में जीवंतता को देख लेते हैं।
एक जुगनू ने चमक कर निशा जग मगायी, सितारे फिर जल के आसमांन में मर गए ! एक जुगनू ने चमक कर निशा जग मगायी, सितारे फिर जल के आसमांन में मर गए !
जिसमें उसकी जो मर्जी हो वह खुशी की एक रोशनी है। जिसमें उसकी जो मर्जी हो वह खुशी की एक रोशनी है।
फिर किसी से न इश्क़ हो पाया इसलिए मैंने शायरी कर ली। फिर किसी से न इश्क़ हो पाया इसलिए मैंने शायरी कर ली।
अपने माँ बाप को भी निहित स्वार्थ वश मौत की ओर ढकेलने में भी नहीं शरमाते हो। अपने माँ बाप को भी निहित स्वार्थ वश मौत की ओर ढकेलने में भी नहीं शरमाते हो...
काश ऐसा होता तो अच्छा होता अगर ऐसा नहीं होता तो अच्छा होता न कभी चैन, न कभी आराम मिला काश ऐसा होता तो अच्छा होता अगर ऐसा नहीं होता तो अच्छा होता न कभी चैन, न कभ...
बरसात की नन्ही नन्ही बूंदें मुझे ना छुए, इसलिए वो आंचल से छुपा लेती है, बरसात की नन्ही नन्ही बूंदें मुझे ना छुए, इसलिए वो आंचल से छुपा लेती है,
शिवजी से वरदान प्राप्त कर निष्कंटक पथ होना था। शिवजी से वरदान प्राप्त कर निष्कंटक पथ होना था।
कभी हँसाती, कभी रुलाती, कभी सताती बीती यादें कभी हँसाती, कभी रुलाती, कभी सताती बीती यादें
कभी उनको मिले ही नहीं या उन्होंने स्वीकारा नहीं कभी उनको मिले ही नहीं या उन्होंने स्वीकारा नहीं
जीवन के सागर में चलो फिर से मिलकर गोते लगाते हैं जीवन के सागर में चलो फिर से मिलकर गोते लगाते हैं
सब कुछ अस्त व्यस्त और व्यवस्थित रूप से जर्जर हो चला है सब कुछ अस्त व्यस्त और व्यवस्थित रूप से जर्जर हो चला है
दौड़ी चली आय कान्हा की राधा, कान्हा जब मुरलिया मधुर बजाय। दौड़ी चली आय कान्हा की राधा, कान्हा जब मुरलिया मधुर बजाय।
हमने सदैव सिद्धांतों के उलटे ही अर्थ निकाले हैं। हमने सदैव सिद्धांतों के उलटे ही अर्थ निकाले हैं।