Priyesh Pal
Abstract
इधर,
आतंकी ढेर !
उधर,
नौजवान शहीद।
सूरतें दो,
देश दो,
जानें ?
न जाने कितनी।
सत्य और सूर्य
हमारा अजन्मा ...
गुरु! मेरा कौ...
अभिनेता
सोचा है कभी?
मैं देखता हूँ
पिंजरे में भव...
मृत्यु! इक सत...
मैं सीखना चाह...
घर
इस हंसी से ही तो ये दिल प्रसन्न हो गया है। इस हंसी से ही तो ये दिल प्रसन्न हो गया है।
देशद्रोही जो पनप रहें, उनसे निज़ात चाहती हैं। देशद्रोही जो पनप रहें, उनसे निज़ात चाहती हैं।
जो देख रहा सब भांप रहा, वो देश का चौकीदार है। जो देख रहा सब भांप रहा, वो देश का चौकीदार है।
आज नहीं तो कल जाना है सबको चलो चलते हैं करके मन का मैल साफ़। आज नहीं तो कल जाना है सबको चलो चलते हैं करके मन का मैल साफ़।
मत पूछो मेरी पहचान है क्या , मैं मुखौटा हूँ ख़ुद ही खुद का। मत पूछो मेरी पहचान है क्या , मैं मुखौटा हूँ ख़ुद ही खुद का।
हम अपने घर लौट रहे हैं अपने को बाजार में छोड़कर। हम अपने घर लौट रहे हैं अपने को बाजार में छोड़कर।
लिए डमरू खुद ही नाचे, ये जग की बात निराली है। लिए डमरू खुद ही नाचे, ये जग की बात निराली है।
ऐनक उतार कर मेज पे रखने के बाद, सब कुछ दिख रहा था पहले की तरह। ऐनक उतार कर मेज पे रखने के बाद, सब कुछ दिख रहा था पहले की तरह।
तहरीर मुसलसल है ,तक़रीर मुसलसल है , और महेरबाँ हमारी तक़दीर मुसलसल है। तहरीर मुसलसल है ,तक़रीर मुसलसल है , और महेरबाँ हमारी तक़दीर मुसलसल है।
हर गुलशन का गुल प्यारा क्यों ना लगता, अगर अपनी बाग़ की कालियां भी प्यारी हैं।। हर गुलशन का गुल प्यारा क्यों ना लगता, अगर अपनी बाग़ की कालियां भी प्यारी हैं।।
विघ्नहर्ता तुम्हारे है नाम, भव- रोगों से करते हो पार। विघ्नहर्ता तुम्हारे है नाम, भव- रोगों से करते हो पार।
क्यूँकि हर एक शख्स का कोई ठिकाना होता है। क्यूँकि हर एक शख्स का कोई ठिकाना होता है।
टीस है बहुत ज़ख़्म तले मगर सहलाने की चाह जाग जाये अगर टीस है बहुत ज़ख़्म तले मगर सहलाने की चाह जाग जाये अगर
औऱ दिल है बस एक आकार कहा तुमने। औऱ दिल है बस एक आकार कहा तुमने।
संवरती देखकर उसको आईना भी मचल जाए। संवरती देखकर उसको आईना भी मचल जाए।
हसरत यह अब भी जिन्दा है, दिल अपना एक परिंदा है।। हसरत यह अब भी जिन्दा है, दिल अपना एक परिंदा है।।
शब्द को पृष्ठ पर लेखनी जब गढ़े, सार पढ़कर ये जीवन महकने लगा। शब्द को पृष्ठ पर लेखनी जब गढ़े, सार पढ़कर ये जीवन महकने लगा।
राष्ट्र पर विपदा आए, मन कर्म से एक हों, शत्रु टिक न पाए। राष्ट्र पर विपदा आए, मन कर्म से एक हों, शत्रु टिक न पाए।
बात को मानें स्वस्थ व खुश रहें सुरक्षित हों। बात को मानें स्वस्थ व खुश रहें सुरक्षित हों।
पता नहीं कब थम जायें साँसे, अपनी नूरानी सूरत दिखा दो, पता नहीं कब थम जायें साँसे, अपनी नूरानी सूरत दिखा दो,