शहीद वीर नारायण सिंह
शहीद वीर नारायण सिंह
रामसाय दीवार के घर मे जन्मा अनुपम वीर निराला ।
वीर नारायण सिंह नाम का वीर बली मतबाला।।
अंग्रेजों के शोषण का उस समय था कोल्हू चलता ।
दीन दुखी शोषित बिन कारण आकर उसमें पिरता ।।
छत्तीसगढ में वीर नारायण निकल पङा था लेकर आश।
देशभक्ति निर्भयता के गुण लिए हुए वे अपने साथ ।।
स्वामीभक्त घोड़े पर चढकर प्रजा की सुध वह लेते थे ।
कैसे हो आजाद मुल्क मन में विचार यह पलते थे ।।
सोनाखान में नरभक्षी जंगल से बाघ एक आया ।
उसे मार भयभीत प्रजा को निर्भय कर मुस्काया ।।
अठारह सौ तीस में पदवी जमींदार की पायी ।
परहित न्याय सुरक्षा देकर जन उर जगह बनायी ।।
बोझ लगान का गोरों के जब प्रजा नही सह पायी ।
तो विरोध कर उसका अपनी आपत्ति थी जताई ।।
अठारह सौ छप्पन में था छत्तीसगढ में पङा अकाल ।
भण्डार लूट माखन का भूखों को था किया निहाल ।।
अठारह सौ सत्तावन की क्रांति के बनकर नायक ।
सोनाखान मुक्त घोषित कर बने प्रजा के पालक ।।
गोरों के विरोध के कारण उनकी आंखों को खटके ।
जासूस लगा अंग्रेजी सेना उन्हें पकङने को भटके ।।
गद्दार जमींदारों के कारण गिरफ्तार कर लिए गए ।
दस दिसम्बर सत्तावन में देही तज वलिदान हुए ।।
भारत मां के वीर बहादुर दीन दुखी जन के हितकारी ।
कोटि नमन करता है जन जन वीर नारायण सिंह वलधारी ।।