STORYMIRROR

Sakshi Yadav

Abstract Inspirational

4  

Sakshi Yadav

Abstract Inspirational

शहीद की माँ की व्यथा

शहीद की माँ की व्यथा

2 mins
265

बूढ़ी माँ यू बिलख रही है, लादे मेरा लाल कोई

क्या दे कंधा नहीं ले जाता, माँ को बेटा शमशान कोई

बूढ़ी माँ यू बिलख रही है, लादे मेरा लाल कोई


लिये आरती थाल खड़ी है, मौत बहु बन आई

दे आशीष सदा खुश रह , पीछा न छोड़े तन्हाई

झुर्रियों से बह रही अश्कों की नदी ले बहार

बिलख रही इस माँ को देखो, उजड़ गया संसार


खीर भरी है रखी पतीली, खुद न खाना खाये

बेटा आये एक बार और ज़रा खीर चख जाए

लिया सहारा छीन,अब कैसे बचें आखिरी आस कोई

बूढ़ी माँ यू बिलख रही है, लादे मेरा लाल कोई।


पकड़ हाथ जिसे चलना सिखाया, कंधा मुझको दे पाए

किसी डग पर न सोचा था, बांध कफ़न बेटा आये

एक सहारा था मेरा, जिसको दुनिया की नज़र लगी

खूब छिपाया आँचल में, आखिर यमराज की नज़र पड़ी


गर्भ, दूध का मोल बताओ, हाय कैसा ये हुज़ूर हुआ

जिसको कंधा देना था वो कंदे को मज़बूर हुआ

इस सोये अनमोल रत्न का, न चुका पाए अहसान कोई

बूढ़ी माँ यू बिलख रही है, लादे मेरा लाल कोई।


तेरे जाने पर ये माँ, अब किसके सहारे जीएगी

शीशे सी टूटकर बिखर पड़ी, अब कैसे गम को पीएगी

जिगर का टुकड़ा छीना जो, कहा अर्जी ये लगाएगी

क्या छीना जो लुप्त हो गया, ये किस - किस को बतलायेगी


भारी दिल जो कस्ट दे रहा, किससे खोल दिखाएगी

किससे कहो कि जाकर के ये रोकर के दिखलाएगी

उम्मीद लगाकर बैठी है, बैठी जैसी अनजान कोई

बूढ़ी माँ यू बिलख रही है, लादे मेरा लाल कोई।


मोल लगाने को शौक रखे जो, कितना मोल लगाओगे

दूध, साथ, वो हँसी-खुशी क्या वापस कभी कर पाओगे

खोया उसने जिगर का टुकड़ा, और तुम मोल लगाते हो

इस शर्मिंदगी में उस माँ के क्यो पैर नहीं पड़ जाते हो


ये साथ, ढोंग,ये धोखा सब मिट्टी मिलकर रह जायेगा

जो बेटा तुम्हारा थाम कमान , सरहद पर जो कभी जाएगा

मना कर रही पड़ी बेबस, रहने दो बेजान पड़ी

बूढ़ी माँ यू बिलख रही है, लादे मेरा लाल कोई।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract