शगुफ्ता
शगुफ्ता
मेरे तू शगुफ्ता रु अपनी रु- ब -रु कर लें
तू प्यार की बातें मुझसे ही अब शुरु कर लें
ख़त भेज लिए तुझको ही खूब मुहब्बत के
इकरार सब दिल की मेरे आरजू कर लें
करके बंदगी रब की आये करार दिल को
की छोड़ उदासी तू आ दोस्त वजू कर लें
यूँ नजरें नहीं मुझसे तू फ़ेर सनम मेरे
तू प्यार की मुझसे ही आँखें चार तू कर लें
क्यों फ़ूलों की बारिश तू दोस्ती की करता
तू भी अदू से ख़ुद को ही देखो अदू कर लें
की छोड़ो गिले सिक्वे करने अब ज़रा मुझसे
"आज़म" से मुहब्बत की तू अब गुफ़्तगू कर लें
