शब्दों के मोती (सांप सीढ़ी)
शब्दों के मोती (सांप सीढ़ी)
जिंदगी सांप सीढ़ी का ही तो खेल
जिसका सीढ़ी उसका स्वर्ग
जिसको निगल ले सांप,वो चले पाताल लोक
किसका पुण्य,किसका पाप
न्याय तराज़ू में तौलना सब।
क्या ये सब भगवान का आदेश
शायद हमारे अच्छे ,बुरे कर्मों का परिणाम
अच्छाई का रास्ता बहुत कठिन
मिल जाए तो मोक्ष ही मोक्ष
बुरे कर्म का बुरा नतीजा
कीड़े मकोड़े बराबर।
