STORYMIRROR

Amita Dash

Tragedy

4  

Amita Dash

Tragedy

शब्दों के मोती(बसेरा)

शब्दों के मोती(बसेरा)

1 min
303

खिड़की हो या किवारे,

रोज़ सुबह खटखटाते हो।

मंदिर में घुस कर प्रसाद खाते हो।

छज्जे पे घोंसला बनाए हो।


चहचहाकर ढ़ेर सारी बातें करते हो।

सब समझते हो।

जबतक मेरे आवाज सुनोगे नहीं, तसल्ली नहीं।

बच्चों की तरह ज़िद।


बेटा तो चला गया।

आसमान में बसेरा ढूंढ लिया वहीं।

बुढ़िया के ऊपर तुम्हारे दया आ गई।

बसेरा ढूंढ लिए यहीं।

मेरे छज्जे पे कहीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy