शब्द
शब्द


मेरा अनुरोध है आप सबसे यही शब्द से संधि कर ही अधर खोलिये
सामने कोई हो हो अपरिचित भले हो सके तो सभी से मधुर बोलिये।
कौरवों पाण्डवों में हुआ युद्ध क्यों शब्द ही थे लगे जो हृदय तीर से
शब्द में ही अलग करने की शक्ति है धैर्य संयम को लोगों की तकदीर से
शब्द में ही यमक श्लेष अनुप्रास है जिसकी उपमा नहीं ऐसा रस घोलिये।
सामने कोई हो ......।
शब्द रत्नावली के हृदय में चुभे राम की तुलसी पावन कथा लिख गये
तुलसी ने थामी जब अपने कर में कलम नेत्रहीनों को भी रामजी दिख गये
राम मानस चरित के अमर पंथ पर भक्ति भावों में डूबे हुये डोलिये।
सामने कोई हो ......।
गौरी का वध किया शब्दभेदी बने पृथ्वी के सामने सारा जग झुक गया
शब्द पौरस ने जब स्वाभिमानी कहे तब सिकंदर का यूनानी रथ रुक गया
शब्द अनुबंध है शब्द सम्बंध है शब्द से पाप कितनों ने हैं धो लिये।
सामने कोई हो .....।
शब्द हैं तो गजल गीत रस छंद हैं शब्द से ही अलंकार सम्भव हुये
भाव मन के उजागर हुये शब्द से शब्द से प्रीत के सारे अनुभव हुये
बोलने से प्रथम शब्द पहिचानिये भावों से शब्द की शक्ति को तोलिये।
सामने कोई हो .....।