शब्द की ताकत
शब्द की ताकत
है शब्दों का जादू
पतंगों से आगे
एक छुए गगन
तो दूजा मन के धागे
कभी छोटा यारों
न इसको समझना
ये है घाव देता
नश्तर से भी गहरा
जो दिल को लगे तो
लगे तीर जैसा
कानों में पिघले है
सीसे के जैसा
कभी दवा भी है मीठी
के हो जैसे अमृत
दुखते दिलों को भी
कर दे आनंदित
रोते हुओं को ये
झट से हंसा दे
रूठे हुओं को भी
फिर से मिला दे
थकते पगों में
नया जोश भर दे
गिरते मनोबल को भी
ऊँचा उठा दे
जुबां जब भी खोलो
तो पहले ये सोचो
न निकले कुछ ऐसा
जो पलट भी न पाए
कहो कुछ न ऐसा
जो दिल को दुखाये
शब्द ऐसे ढूंढो जो
खुशियाँ फैलायें
दिलों से ये दूरी
हम मिलकर मिटायें
बातें हो ऐसी
जो सबको सुहायें।
