शायरी. दुनिया बाजार बन गयी देख.
शायरी. दुनिया बाजार बन गयी देख.
शायरी ..
दुनिया बाजार बन गयी देख
जो मिला खरिदार मिला देख
खुशी की भी कीमत चुकाते थे
आज तो गम भी बिक रहे देख
दुनिया बाजार बन गयी देख
चल यह डेरा है बनियों का
कहा छुपायेग दिल के आरमान तू
बिकाऊ बेशक नही है तू
पर खरिदार जमाना हो गया है देख
ना किया कर बया आरजू भी
कोशिशे तो हस्ती मिटाने की है देख
संभलकर भी चला दो कदम फ़ासले बस
मंजिल अभी बडी दूर हैं देख
फ़िजाये भी तो वाजिब नही जनाब
के यहाँ जरूरतें भी बदल रही है देख
तू उसुलों की बात करे है..
वो तो हस्ती मिटाने की फ़िराक मे हैं देख..
दुनिया बाजार बन गयी है देख ..