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नविता यादव

Inspirational

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नविता यादव

Inspirational

शांत सरोवर

शांत सरोवर

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स्त्री मन कमसिन चितवन,

हर उम्र में खिले, बन 'मधुवन'

नारी एक रूप अनेक

हर रूप मे चमके मोती बन।


बेटी बन घर -आँगन महकाये,

बहना बन भाइयों को समझाये,

हुई जवान तो माँ मन हर्षाये,

पिता के कंधों पर' विदा'

करने की जिम्मेदारी आये।


हुआ विवाह बन की कुलवधू ,

नया जन्म, मिली नयी खुश्बू

आँगन नया माली नया,

स्त्री मन उसमें पल -पल खोया,

जिंदगी को एक सुकून मिला,

अपने अंदर जब एक अंकुर मिला।


वो अंकुर 9 महीनों बाद पौधा बना,

स्त्री को फिर एक नया जन्म मिला।

भूल गयी वो सब पीड़ा,

उस पौधे को अपने तन-मन से सींचा

स्त्री जीवन बहुत विशाल है

स्त्री दिल ममता का दरबार है।


स्त्री का सम्मान करो

स्त्री बिना घर-आँगन उदास है।


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