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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

सेवक

सेवक

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सुशासन, स्वच्छता,

भ्रष्टाचार मुक्ति

और विकास

का मुद्दा ना 

जाने कहाँ 


सिमटकर रह गया ?

अब तो उसकाना,

बंटवाना और

धमकाना ही इन

चुनावों का मंत्र 

बन गया !


स्वच्छ इंडिया,

मेक इन इंडिया,

स्टार्ट अप इंडिया,

स्किल इंडिया

की बात को

हम भूल गए


स्वच्छ राजनीति

के लक्ष्यों

से भटककर

मर्यादा को 

भूल गए !


अब " राष्ट्रवाद "

का भूत

हमारे सर पे

चढ़कर

बोल रहा !

विकास का

ढोल कुछ क्षण 

बजने के बाद

फूट गया !


दुःख तो 

पीड़ितों का

हम हर ना सके !

सेवक की बातें

तो दूर रही

चौकीदार भी

अच्छे बन 

ना सके !


सम्प्रदायिकता 

मोब लयाँचिंग

असहिष्णुता

नारी सुरक्षा

आतंकवाद

को हम

सुधार ना सके ,


आपदा पीड़ितों 

के परिवारों के 

आंसू पोछ

ना सके !


शायद अगली 

चुनावों में

आपकी ही 

जय जय कार होगी,


पर यदि हम 

सेवक से

चौकीदार के 

चोले को यूँ ही

बदलते रहेंगे 

तो हमारी हार होगी !


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