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Disha Singh

Classics Inspirational

4  

Disha Singh

Classics Inspirational

सेवा-निवृत्ति

सेवा-निवृत्ति

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यादों की अलमारी,

इस अलमारी में मेरे बहुत खास

और कीमती यादें है,

जिन्हें मेरे शुरवाती दौर से ले कर

अब तक संभाले रखा था।

आज ये सम्पूर्ण रूप से प्यार,

आदर, समान से भरपूर भरा हुआ है।


जीवन के संघर्ष में मेरी हर परीक्षा की कसती 

अपनी तेज़, धैर्य, और मेहनत के

बल पर आगे की और बढ़ती गयी।

मुझें बदलते- ढलते रिश्तों में जोड़ती हुई ।

मेरे सफर की रेलगाड़ी मंदार, पटना,

जमशेदपुर से होते हुए रजरप्पा जा पहंची,

जहां ज़िम्मेदारी की पोटली का भार लिये,


पुराने - नाये लोगों का गुलदस्ता सजाते हुये 

मैं "मैक्सिमा एक्का"

अपनी नर्स की ड्यूटी से लेकर 

परिवार का ध्यान रखते हुये 

अपना कर्तव्य निभाते गयी

एक विशाल पर्वत की भांति

परिवार का साथ मिला,


हँसते - खेलते सभी के साथ झूमते हुये 

सुख- दुःख बाटते हुये 

वो संतोष का आभाष करते हुये 

अब मेरी मंज़िल अपने आखरी

पड़ाव की ओर करवट लेते हुये 

आज मेरे "सेवा-निवृत्ति" 


मैं कहती है मुझसे,

" बग़ीचे में लगाये है कितने फूल 

हर कालियों की खुशबू से

मेहक उठा हैं जीवन का हर मूल 

मुस्कुराते हुये स्वागत करते हुये

जीवन में सीखते जाना है

एक उम्र के बाद जीने की और तमन्ना है।"


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