STORYMIRROR

Anita Sudhir

Abstract

3  

Anita Sudhir

Abstract

सेना

सेना

1 min
308

सेना सीमा पर खड़ी, ले रक्षा का भार

सोते हम सब चैन से, हँस कर सहती वार।


कफन तिरंगे का पहन, रखा देश का मान,

व्यर्थ नहीं बलिदान हो, खायें शपथ हजार।


अंतहीन क्यों हो रहा, इच्छाओं का भार

मृगतृष्णा की आस में, भटक रहा संसार।


बढ़ता गठरी भार ये, जाना खाली हाथ,

सतकर्मों की पोटली, भवसागर से पार।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

Similar hindi poem from Abstract