सच्ची मानवता
सच्ची मानवता
जीवन सबको मिलता, मौत भी सबको आती
याद करे जो सारी दुनिया, मौत वही कहलाती
अगर जियेंगे खुद के लिए, तो जीना है बेकार
जियो सारे संसार पर, करने के लिये उपकार
सोचे जो सिर्फ अपना लाभ, वो पशु कहलाता
इंसान वही कहलाए, जो काम इंसान के आता
ऐसे मानव की प्रसंशा, करते हैं स्वयं भगवान
सारी दुनिया मानती है, उस मानव का एहसान
उसकी आभा करती, सारे जग को प्रकाशमान
छोड़ जाता वो जग में, खुद का अमिट निशान
राम समान मर्यादाओं का, जो करता हो श्रृंगार
बनकर पावन जो करे, अपना जीवन निर्विकार
जिसके हृदय में सदा, बहता हो दया का झरना
धर्म अपनाया हो जिसने, परोपकार ही करना
भेद ना हो जिसके मन में, सबको समझे भाई
उसने ही अपने हृदय में, पीड़ा सबकी समाई
औरों के जो विघ्न हरे, बनकर विघ्न विनाशक
केवल वही बन सकता, सारे जग का शासक
ईश्वरीय ज्ञान प्रकाश जो, सारे जग में फैलाता
जग से अज्ञान का अंधेरा, केवल वही मिटाता
ऐसी महानता जीवन में, जो कोई भी अपनाता
उसके हर कर्म में ईश्वर भी, सहयोगी बन जाता।