सच्ची भारत कथा
सच्ची भारत कथा
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सच्ची भारत कथा सुन लो ये मेरी जुबानी है,
कहीं है आचरण लम्बा, कहीं पर बदजुबानी है।
जवां खून अब इसका और लम्बी उड़ानें हैं,
मूर्तिपूजा की प्रथा वो ही मगर सदियों पुरानी है।