"सच्चाई का दर्पण"
"सच्चाई का दर्पण"
जीवन में हमने एकता का बेहद अजीब सा मंज़र देखा...!
नेता के देहांत में नेताओं को और अभिनेता
के देहांत में अभिनेताओं को ही देखा..!!
शान से बैठा आसमान पर उस चंद्रमा को
भी हमने रात में चमकते जमीन पर देखा...!
जो कल तक उड़ रही थी हवाओं के साथ
आज उस माटी को धरती में जमते देखा..!!
सच्चाई से भी अब दुश्मनी सी होने लगी है
जब से झूठे लोगों को रिहा होते देखा...!
जिन्दगी कि इस कशमकश में अपनों के लिए
हमने एक विजेता को भी हारते देखा..!!
संसार को खाती जा रही है इंसानों
के द्वारा बनी बीमारी को देखा...!
गिरगिट ने भी रंग बदलना छोड़ दिया
जब उसनें इंसानों को रंग बदलते देखा..!!
हैरान सी रह गई है मंजिलें सारी जिन्दगी
ने भी सफर को बहुत बार आज़मा के देखा...!
थामी सी रह गई बारिश की सभी बूंदें
जब आसमां ने हमारे सनम को भीगते देखा..!!
