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सच-झूठ

सच-झूठ

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झूठ मिश्री के घोल में ऐसा घुला
आजकल सबको ये भााने लगा है ।
सच तो नीम-रस में घुुली होती है,
क्यों सच जमाने से जाने लगा है।।

जबतलक ये दवा कडवी ना होगी,
सेहत को यारों आराम न होगा ।
गर तुुुम इस कडवे सच को स्वीकारो,
तो कभी भी तू नाकाम ना होगा ।।

झूठ फरेेेब की दुनिया हसीन सही,
मगर दिल को पल भर का सुकून नहीं।
सच की राहों में लाख कांटे सही,
पर इस जैसा कोई भी कुसुम नहीं।।


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