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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Action

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Action

सच् है ,

सच् है ,

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सच है, वो दगा करते हैं 

सच है, वो ठगा करते है 

हो क्यूँ नहीं ऐसा, इस कदर 

सच् है , वो रतजगा करते हैं !


 हद इस रिश्ते की हो क्यूँ 

झूठ को इस तरह जीते हैं 

अपने होकर भी वो रावन हैं 

मरने की सरेआम दुआ करते हैं !


सोचा था मिलूंगा गले उनसे 

मिलते हैं, वो खंजर भोंकते है 

सच् का प्रण था, अब रण है 

हारने की वो दुआ करते हैं !


जीत सका ना कोई ज़िद 

मन लूटे पर ना कोई मीत 

सामने आए गर वो जाहिल 

हम तो जीने की दुआ करते हैं !


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