सच् है ,
सच् है ,
सच है, वो दगा करते हैं
सच है, वो ठगा करते है
हो क्यूँ नहीं ऐसा, इस कदर
सच् है , वो रतजगा करते हैं !
हद इस रिश्ते की हो क्यूँ
झूठ को इस तरह जीते हैं
अपने होकर भी वो रावन हैं
मरने की सरेआम दुआ करते हैं !
सोचा था मिलूंगा गले उनसे
मिलते हैं, वो खंजर भोंकते है
सच् का प्रण था, अब रण है
हारने की वो दुआ करते हैं !
जीत सका ना कोई ज़िद
मन लूटे पर ना कोई मीत
सामने आए गर वो जाहिल
हम तो जीने की दुआ करते हैं !