सबसे आनंदनीय....।
सबसे आनंदनीय....।
इंसानों में कोई मंदमस्त पड़ाव,
जिसमें बहुत होता जोश,
चेहरा होता खिला,
व्यक्तित्व बहुत प्रयोगी होता,
हर कोई,
जोखिम लेने को तत्पर रहता,
कभी नहीं हार मानता,
खूब नाचता खूब गाता,
ये होता योवन श्रीमान।
जब इंसान इसमें आता,
विपरीत लिंग आकर्षित करता,
उससे घुलने मिलने को,
मन करता।
उस पर शेर और शायरी भी लिखता,
फिर कभी कामयाबी देखता,
तो प्यार शुरू हो जाता,
नये नयै सपने गढ़ता,
अपनी महबूबा को,
पलकों पर बिठाता,
दोनों हर लुत्फ का,
आनद लेते,
हर समय प्यार में,
डूबे रहता।
अगर जिंदगी में संतुलन रखता,
प्यार और लक्ष्य,
एक साथ चलाता,
किसी तरफ भी,
ढील नहीं आने देता,
तो कामयाबी पाता,
और एक नया,
इतिहास लिखता।
परंतु अगर संतुलन बिगड़ा,
प्यार सर चढ़कर बोला,
तो लक्ष्य छूट जाएगा,
और जिंदगी भर पछताएगा।
योवन तो बहुत आनंदमय,
परंतु संतुलन,
सर्वोपरि होता।
बस योवन का मजा लो,
लेकिन संतुलन कायम रखो,
और कामयाबी के मुकाम,
छूते रहो।
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