सबकी भाग्य विधाता है
सबकी भाग्य विधाता है
कविता
सबकी भाग्य विधाता है
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धन की दाता, विद्या की दाता, ये शक्ति प्रदाता है।
शिल्पकार है नारी जग में सब की भाग्य विधाता है।।
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नारी का सम्मान करो ये शक्ति भक्ति की मूरत है।
दया धर्म का मूल यही है ये करुणा की सूरत है।।
नारी को पहचाना जिसने शक्ति स्वरूपा जाना है।
मिली सफलता उसको सारा जग उसका दीवाना है।।
जननी पद पर रही प्रतिष्ठित गोदी में अवतार रहे।
उस गोदी का क्या कहना जिसमें खुद तारणहार रहे।।
पैदा करना और पालना उसको बेहद भाता हैप।
शिल्पकार है नारी जग में सब की भाग्य विधाता है।।
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खून पिलाकर के बच्चों को अमर बनाया नारी ने।
कभी बनाया शिवा ,कभी राणा जैसा महतारी ने।।
जीजाबाई को लोगों इतिहास भुला कब पाया है।
सुत की देह बना फौलादी अपना फर्ज निभाया है।।
गुस्से में आकर जब नारी चंडी रूप दिखाती है।
अच्छे अच्छों की छाती टुकड़े टुकड़े हो जाती है।।
दुर्गा के गुण धर्म रूप की महिमा ये जग गाता है।
शिल्पकार है नारी जाग में सबकी भाग्यविधाता है।।
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विद्या चाहो ,सरस्वती से मांग लो विद्या देती है।
बच्चे हों या बड़े सभी को भाती बढ़ी चहेती है।।
कलमकार इससे वर पाकर मंजिल को छू पाते हैं।
मंचों पर इसकी पूजा करते हैं ,नहीं अघाते हैं।।
धन की चाहत रखने वाले लक्ष्मी का पूजन करते।
करके राजी विष्णुप्रिया को धन से घर अपने भरते।।
पार्वती जननी गणेश की रिद्धि सिद्धि की दाता है।
शिल्पकार है नारी जग में सब की भाग्य विधाता है।।
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लाखों से हथियार डलाकर रण में धाक जमाई है।
इंदिरा गांधी की सूरत अब तक जहनों पर छाई है।।
किये पाक के टुकड़े जिसने बांग्लादेश बना डाला।
बनी विश्व की नेता ऐसा काम किया है मतवाला।।
जनजन का दुःख था जिसका ऐसा मन आंगन देखा था।
लोगों ने जिस दिन इंदिरा का ,चंडी नर्तन देखा था।।
नारी का वो रोद्र रूप ,ही तो काली कहलाता है।
शिल्पकार हैं नारी जग में, सबकी भाग्यविधाता है।।
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तुलसीदास के पीछे नारी, सीख बड़ी अनमोल रही।
लिखवा दी रामायण, खुशियां जो घरघर में घोल रही।।
राम बने आज्ञा पालक तो दुष्टों का संहार किया।
शबरी के झूठे फल खाएं पतितों का उद्धार किया।।
प्यार किया राधा बनकर ,तो बैठ गई अंतर्मन में।
सेवा का संकल्प लिया तो सीता साथ गई वन में।।
कृष्ण यशोदा की ममता की छांया में सुख पाता है।
शिल्पकार है नारी जग में सबकी भाग्य विधाता है।।
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फूलन देवी कभी बनी तो मार गिराया लोगों को।
संसद में पहुंची तो जाकर गले लगाया लोगों को।।
नाम महादेवी का भी तो, एक चमकता तारा है।
हिंदी की बिंदी से जिसने मां का भाल संवारा है।।
अंतरिक्ष में गई कल्पना ,जीत गया कद नारी का।
था जुनून उसके मन में लोगों केवल सरदारी का।।
परम पिता को भी नारी का रूप बड़ा मन भाता है।
शिल्पकार है नारी जग में, सबकी भाग्य विधाता है।।
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मरियम ने ईसा को पैदा करके अमर निशानी दी।
मानवता फैलाने वाली अनुपम नई कहानी दी।।
बनी फातिमा जन्नत की मालिक ये सबने माना है।
वो माँ है हसनैन की लोगों भूला नहीं जमाना है।।
माता बनी आमना बीवी नूर खुदा का फैलाया।
गोदी में रेहमत खेली तो ,नारी ने गौरव पाया।।
ये सब ऐसी माएं हैं जिनके गुण खुद रब गाता है।
शिल्पकार नारी है जग में सबकी भाग्यविधाता है।।
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मीराबाई बन, नारी ने भक्ति का संचार किया।
विष पीकर वो अमर हो गई कैसा उसने प्यार किया।।
झांसी की रानी ने ,अंग्रेजों को खूब छकाया है।
लक्ष्मी बाई ने नारी का, यश परचम फहराया है।।
पद्मावती नहीं जब पाई दुश्मन हाथ मसलते थे।
जौहर की ज्वाला में उनके,अरमां धूं धूं जलते थे।।
नूरजहाँ है आविष्कारक सबको इत्र बुलाता है।
शिल्यकार है नारी जग में सबकी भाग्यविधाता है।।
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राष्ट्रपति के पद पर बैठी प्रतिभा पाटिल नारी थी।
लोकतंत्र की ताकत थी, सब के वोटों पर भरी थी।।
भले सोनिया भले सुमित्रा जयललिता हो या सुषमा।
इनके सम्मुख कौन खड़ा होगा किसमे इतनी उष्मा।।
माया, ममता, वसुंधरा या कहो राबड़ी जानेंगे।
उमाभारती कहो सानिया मिर्जा सब पहचानेंगे।।
मदर टेरेसा का सेवा परचम जग में लहराता है।
शिल्पकार है नारी जग में सबकी भाग्यविधाता है।।
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अख्तर अली शाह "अनंत"नीमच
