सबका संग -संग हो विकास
सबका संग -संग हो विकास
जगत में हर कोई ही है ये करता प्रयास,
सर्वांगीण सकारात्मक हो उसका विकास।
भौतिक संसाधन ,उत्कृष्ट स्वास्थ्य व शिक्षा,
उसके पास हों होती सबकी ही यह इच्छा।
उच्च गुणवत्ता वाला दीर्घ अवधि का हो जीवन,
सम्मान हो समाज में और हो स्वस्थ तन-मन।
बेहतर उत्पादकता शक्ति संग सतत् होवे विकास,
प्रचुर आय संग कल्याणकारी हो क्षमता भी खास।
रहे उत्तम जीवन का स्तर पहुंच में हों सब संसाधन,
आजादी हो उन्हें पाने की ,न हों या न्यूनतम हों बंधन।
अपने इच्छित लक्ष्यों में नहीं होनी चाहिए कुछ बाधा,
ह्रास जो हो सुख साधनों में तो लगता है विकास आधा।
सबका हो साथ ,सबका हो विकास ,हो हरदम ही खास ,
होंगे हर हाल में न्यून ग़म अतिरेक खुशी हो ऐसा विश्वास।
आचरण में सबके शुचिता हो हर जीवन प्यार की कविता हो,
स्वास्थ्य सुख समृद्धि का आलोक बिखेरता प्रखर सविता हो।
