STORYMIRROR

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

4  

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

सबका सम्मान करो

सबका सम्मान करो

1 min
539

हम आलग अलग

आकृतिओं में जन्म लेते हैं

हमारे रूप विरले ही

किसी दूसरे से मिलते हैं !


रगों में खून की लाली

भले एक सी हो

पर खून के श्रेणियां

बदलती रहती है !


कोई शांत होता है

कोई उग्रता से काम करता है !

किसी के भंगिमाओं में

मृदुलता छलकता है !


कोई गोरे यहाँ पर

कोई काले बने है !

कोई नाटे यहाँ पर

कोई लम्बे बने हैं !


हमारी सोच की दीवारें

अलग रंगों की बन गयी हैं !

हमारे मनोमस्तिष्क में

तस्वीरें बस गयी हैं !


इन विचारों से हम

यदि चिपके रहेंगे !

तो विकेंद्रीकरण

की ओर बढ़ते रहेंगे !


आये गए दिन हम लोग

एक दुसरे से भिड़ते रहेंगे !

वैमनस्यता के बीज

हम सदा बोते रहेंगे !


बस सामंजस्य से ही

हम पार उतर सकते हैं !

सबकी बातें को सम्मान

देकर के ही उनके

दिलों में बस सकते हैं !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract