सब तू ही तू
सब तू ही तू
अँधेरे में भी तुम हो
प्रकाश में भी तुम हो ,
सभी रूप तुम्हारे ही हैं
तुम सब में, सब तुम में हैं।
राग में भी वही बसा है
द्वेष में वही भी बसा है।
अपने स्व में स्थित रहो
सुख दुख के ऊपर तैरो।
मेरी उदासी में भी वही है
मेरी प्रसन्नता में भी वही है ,
मेरे उल्लास में भी वही है
मेरी निराशा में भी वही है।
वह मेरे से अलग नहीं है
हर समय मेरे साथ है,
सभी भावों में वही बसा है
उसी की आराधना में रहो।
मुश्किल है सब रूपों में
उसे देखना पहचानना ,
सभी में उसका दर्शन करो
सतत उसका स्मरण करो ।
हर घटना एक सबक़ है
दुःख भी एक सबक़ है,
सुख भी एक सबक़ है
दोनों से ऊपर उठो ।
सहज ही तैर जाओ
इनसे प्रभावित हुए बिना,
इन्हें ज्ञान- गुरु बना लो
हर घटना से सीख ले लो।