सब मिल कर भारतवासी जश्न मनायें
सब मिल कर भारतवासी जश्न मनायें
कल कल बहती गंगा जब जमुना में मिल जायेगी,
बाँह पसारे धारा संगम की धारा में मिल गायेगी,
जब गणतंत्र हमारे भारत का सुखमयी सुबह हो
जाएगा,
भारत का प्यारा ये तिरंगा लहर लहर लहराएगा,
उस दिन भारत में प्यारा सा गणतंत्र मनाएंगे हम,
सब मिलजुल कर भारतवासी जश्न मनाएंगे हम।
कल फिर कोई छू ना पाये भारत के विंध्याचल को,
अपनों में इतना दम हो ना बाँटे माँ के आंचल को,
जो जाति मज़हब से माँ का सीना छलनी करते हैं,
राजनीति की ख़ातिर अपने बच्चों का सौदा करते हैं,
टूट जाये ये रिवाजें जिस दिन अपनों को मनाएंगे हम,
सब मिलजुल कर भारतवासी जश्न मनाएंगे हम।
मत भूलो यह आज़ादी हमने परवाना बन कर पाई है,
कितने वीरों ने आज़ादी की बलवेदी पर जान गँवाई है,
तुम टीवी के मयखानों में मत नशा पिलाओ जनता को,
लोकतंत्र के स्तम्भों से मज़बूती देना भारत को,
एक दिन भारत को अपने ही भारत से मिलवाएँगे हम,
सब मिलजुल कर भारतवासी जश्न मनाएंगे हम।
यहाँ की रीत बड़ी अलबेली मस्जिद में गीता ब्याहती है,
मंदिर के कोने पर सलमा अल्लाह को शीश नवाती है,
'योग' जोड़ने की परंपरा तोड़ने का गुन मत पाओ तुम,
पाकिस्तानी परम्पराओं को भारत में मत लाओ तुम,
एकता के सूत्र बंधे सब ऐसा भी दिन लाएंगे हम,
सब मिलजुल कर भारतवासी जश्न मनाएंगे हम।