STORYMIRROR

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Abstract

4.5  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Abstract

सब भाग्य साथ लाये

सब भाग्य साथ लाये

1 min
220


सब अपना भाग्य साथ लेकर आये है

कोई शख्स नहीं यहाँ दूसरों के साये है


ये तो यहाँ पर अपनी-अपनी सोच है,

सब ही सम किराये साथ लेकर आये है


न किसी को बड़ा समझो, न ही छोटा,

हर शख्स यहां एक ईश्वर के जाये है


कोई किसी को न देता है, न लेता है,

सब अपना नसीब साथ लेकर आये है


शादी पहले 1रुपया कमाता आदमी

शादी बाद 2 रुपये कमाता आदमी


बच्चे के बाद 4 रुपये कमाता आदमी

खुदा ऐसे ही नहीं बढ़ा देता आमदनी


हर शख्स अपनी किस्मत साथ लाये है

कोई भी नहीं उधार की बांहें फैलाये है


हर शख्स खुदा की अनमोल गाये है

सब ही अपना निवाला साथ लाये है


तू खुद पर कभी गर्व मत कर साखी,

हर शीशा अपनी तकदीर छिपाये है


सब अपना भाग्य साथ लेकर आये है

कोई शख्स नहीं यहाँ दूसरों के साये है



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract