STORYMIRROR

Ajay Singla

Inspirational

4  

Ajay Singla

Inspirational

सौभाग्य

सौभाग्य

1 min
13

सौभाग्य 


चक्रवर्ती राजाधिराज जी 

सिंहासन पर विराजमान थे अपने 

परमज्ञानी एक संत आया वहाँ 

राजा ने प्रणाम किया उन्हें ।


संत कहें, आयुष्मान भव:

जो मांगना चाहो माँग लो 

कहे राजा सब कुछ प्राप्त है 

अब कोई इच्छा ना मुझको ।


प्रन्तु फिर भी आप कह रहे 

तो जानना चाहता क्या मुझे मिल सके 

सबसे बड़ा सौभाग्य जगत का 

जो भी है, क्या वो है मेरे लिए ।


संत कहें कि प्रथम सौभाग्य जो 

चाहकर भी ना मिल सके तुमको 

दूसरा सौभाग्य मिल सके 

पर उसे तुम लेना ना चाहो ।


विस्मित हो राजा कहे संत से 

दूसरा सौभाग्य क्या है बतलाओ 

पहला सौभाग्य क्यों ना मिल सके 

इसका राज मुझे समझाओ ।


विनम्र वाणी में संत थे बोले 

दूसरा सौभाग्य पहले सुन लो 

तत्काल मृत्यु हो जाए तुम्हारी 

इस जन्म के चक्र से छूटो ।


राजा बोला मैंने मान लिया कि 

इस सौभाग्य को लेना चाहूँ ना 

परंतु मन में प्रश्न उठ रहे 

क्या है फिर सौभाग्य पहला ।


हंसते हुए बोले संत वो 

पहले सौभाग्य का समय निकल गया 

छूटे होते जन्मों के चक्र से 

ये जन्म ही तुम्हारा ना होता ।


गूढ़ रहस्य, ज्ञान की बातें ये 

इनको ना समझ सकें हम अज्ञानी 

बहुत सरल कभी और कभी कभी 

समझ ना आए संतों की वाणी ।


अजय सिंगला


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational