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Suresh Sachan Patel

Abstract Romance

4  

Suresh Sachan Patel

Abstract Romance

साथी साथ निभाना

साथी साथ निभाना

1 min
360


बनो साथिया तुम, मेरे जाने जाना।

खाओ कसम साथ, उम्र भर निभाना।


जमाना कहेगा, कुछ भी कभी भी।

विश्वास रखना न, डिगना कभी भी।

कभी भी न छोड़ेंगे, दामन तुम्हारा।


रहेगा सदा प्यार, अमर फिर हमारा।

करना कभी भी न, तुम कोई बहाना।

खाओ कसम साथ, उम्र भर निभाना।


जीवन कठिन है, हैं राहों में काॅ॑टे।

मुश्किल भरे दिन, ये किस्मत ने बाॅ॑टे।

सफर चाॅ॑द का हम, मिल कर करेंगे।


प्यार के आँगन में, हम महका करेंगे।

बस प्यार अपना है, खुशी का खजाना।

खाओ कसम साथ, उम्र भर निभाना।


सबर है मुझे मेरी, मंजिल मिलेगी।

मेरे प्यार से हर, मुश्किल मिटेगी।

चलेंगे सदा साथ, मिलकर तुम्हारे।


चाहे खुशी हो, चाहे गम के हों मारे।

हर एक बाधा को, मिल कर हटाना।

खाओ कसम साथ, उम्र भर निभाना।


खुशियों की होगी, बरसात हरदम।

बुझे न कभी भी, अमर प्रीत हमदम।

अगर प्यार होगा, सच्चा जो अपना।


हो जाएगा पूरा, अपना हर सपना ।

मुहब्बत की अपनी, है ताकत दिखाना।

खाओ कसम साथ, उम्र भर निभाना।


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