साथ तेरा
साथ तेरा
एक पल में तुम हमारे हो गए,
ना कोई शिकायत,
ना कोई मोल-भाव,
ना किसी चाहत कीमत,
कहा से तुम इतने अच्छेे हो!
सारी फ़िक्र छोड़,
मेरे बंंधन से बँधे,
मेरे दर्द को अपना कैसे लेते हो?
ना जाने कौन से खुशी से लिपट के रहतेे हो,
कैसे कर लेते हो?
एक धागे मेंं पिरो कर
सारी भावनाएँ कैसे लफ़्ज़ों में बयान करते हो,
दूर हो कर भी पास रहनी की जिद्दी करते हो,
कैसा दस्तूर है तुम्हारा
ना जाने कैसे दिल मोह लेते हो।
बस रहना है तेरे साँझ में
क़ैद हो उड़ना है तेरे साथ,
साया जैैसे नज़दीकी चलना है
सााँसों जैसे देना है साथ,
जबतक जहान है, थाम कर रखो ये हाथ।