रंग
रंग
अनेक रंगों की ये दुनिया
हर रोज़ बदलती है
आखों की पुतली,
बढ़े हशिन रंंग है
हर जहान मेें
उड़ती गिरते सपनों से
हर अंग को भर लो
अपने रंगों से।
अनेक रंगों की ये दुनिया
हर रोज़ बदलती है
आखों की पुतली,
बढ़े हशिन रंंग है
हर जहान मेें
उड़ती गिरते सपनों से
हर अंग को भर लो
अपने रंगों से।