चलते चलो
चलते चलो
सब भूला कर आगे बढ़ना इतना आसान नहीं
मुसकुराते चेहरों के पीछे कई डर छिपे हैं,
खुद को सहेज कर खड़े होना सीखा है
लिपट कर अपने आँसुओ से
दर्द छिपाना सीखा है,
शिकायतों के साथ
अपने-आप को स्वीकार करना सीखा है,
तभी किसी एक पल टूट के
असलियत से रूबरू होना भी सीखा है।