साथ रहो।
साथ रहो।
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हमसे कुछ तो कहा करो न,
कुछ तो थोड़ा लड़ा करो न,
कुछ तो जीवन में रस आये,
शांत कहाँ अच्छा लगता है।
यहां तुम्हारी वे मीठी बातें,
संग तेरी तस्वीरों को बांचे,
तुम बिन कैसे कोई रह ले,
हर पल बोझिल लगता है ।
तेरी यादें वो अपनेपन की,
ढांढस मन के सूनेपन की,
तेरी मर्जी से ही हम चुप हैं,
पर ये दिल रोया लगता है।
कौन जाने कब क्या होगा
मेरा साथ कहाँ तक होगा,
तुम अब साथ रहा करो न,
यह प्यार अधूरा लगता है।