साथ निभाना सखी
साथ निभाना सखी
ओ मेरी सखी तू मेरे साथ ही रहना
हर दुख में, हर सुख में
अकेली मैं कहाँ जी पाऊँगी
मुझ अकेले का क्या वजूद है बिन तेरे
संग संग चलने का वादा है एक दूजे से
हाथ बढ़ा कर तुम थामना मुझे हर
संकट से बचाना
मेरे मन के वीराने को तुम अपने स्नेह
से भर देना
लोग कहते हैं कि एक और एक दो
होते हैं पर हमने तो
ये साबित कर दिया ना की हम एक
और एक ग्यारह हैं
साथ का अर्थ ही यही है
हम दोनों ने इस अर्थ को सही मायने में
आज सार्थक कर दिया है
हाँ पर सखी तू साथ ना छोड़ना कभी
अकेले मैं सच में ना जी पाऊँगी ।।
