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Dinesh paliwal

Romance Tragedy

4.7  

Dinesh paliwal

Romance Tragedy

साथ मेरे तुम आ जाना

साथ मेरे तुम आ जाना

1 min
352



अपने आज छुपा लूं कल तेरा,

तो साथ मेरे तुम आ जाना,

जफ़ा भूल अपना लूँ तुझको, 

तो साथ मेरे तुम आ जाना।। 


बेरहम बड़ी है जालिम दुनिया, 

न जीना अब इस में है आसां,

घर कहीं एक महफूज बना लूँ, 

तो साथ मेरे तुम आ जाना।। 


अभी जमाने ने देखे हैं कहाँ,

मेरे हुनर और वो नखरे सारे,

करतब मैं कुछ और दिखा लूँ, 

तो साथ मेरे तुम आ जाना ।। 


लगी है आग कब से सीने में,

जमाने को ही न फना कर दूं,

जो ठंडी हो, फिर ये राख जरा,

तो साथ मेरे तुम आ जाना ।। 


जगती आंखों से हमने जाने,

कब कब कितने ख्वाब हैं देखे,

बमुश्किल आंख लगी, खुल जाए, 

तो साथ मेरे तुम आ जाना।। 


ये चाहत है कि तेरे साथ ही, 

बाकी उम्र बसर अब हो मेरी,

पार कर लूं कुछ और पड़ाव, 

तो साथ मेरे तुम आ जाना ।। 


हर्फ़ सब ही तो नहीं हैं साफ,

ना ही सब हैं अजीज दिल के,

बस खत्म कर लूं ये किताब,

तो साथ मेरे तुम आ जाना ।। 


साफ़गोई की कीमत चुकाई, 

हर महफ़िल में तन्हा होकर,

जलेबी से हौं ये सब अल्फाज़, 

तो साथ मेरे तुम आ जाना ।। 


तब तुम्हारी ही तो जिद थी ये, 

कि मुक्कमल हो सभी मंजिल,

ये असरार दिनेश अब हुए हैं पूरे, 

तो साथ मेरे तुम आ जाना ।। 



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