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Praveen Gola

Tragedy

4  

Praveen Gola

Tragedy

सात फेरे

सात फेरे

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ये जिस्म तेरे साथ गला,

ना जाने कितनी रात ज़ला,

हर बार बनी मैं तेरी परछाई हूँ,

फिर भी मैं पराई हूँ ?


तूने हर बार मेरे संग दिल बहलाया,

हसीं ख्वाबों का एक मंजर सजाया,

मैं भूल सब कुछ तेरे लिए तोहफे लाई हूँ,

फिर भी मैं पराई हूँ ?


तूने वादे किये थे जो संग जीने के,

हर उन वादों के थे रँग फीके से,

उन्हे रंगीन बनाने मैं आई हूँ,

फिर भी मैं पराई हूँ ?


मैने हर बार तेरी तन्हाई को गले लगाया,

तेरे मरते हुए दिल में एक अरमान जगाया,

बन के बदरा मैं तेरे प्यासे दिल पर छाई हूँ,

फिर भी मैं पराई हूँ ?


हम दोनों के बीच हुआ था जो संगम,

उस संगम में था कभी नहीं कोई बंधन,

सिर्फ सात फेरों के संग मैं ना बंध पाई हूँ,

क्या इसलिये मैं पराई हूँ ?  


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