साल 2020 की यादें(कोरोना समय)
साल 2020 की यादें(कोरोना समय)
पिंजरे में कैद कर पंछी,
हमने देखे उड़ने के सपने।
लॉकडाउन में हम थे और,
पंछी जा रहे मंजिल अपने।।
अपने मनोरंजन के लिए,
मानव ने चिड़ीयाघर बनाये।
लॉकडाउन ने समझा दिया,
कैदी सा जीवन क्यूं ना भाये।।
चाँद पर तो पहुँच चुका था मानव,
पर धरती पर प्रदूषण बेशुमार किया।
देखो एक वायरस के कारण,
प्रकृति ने खुद को संवार लिया।।
सभी जीवों की धरती है यह,
सब का है इस पर अधिकार।
प्रकृति माता सहनशील है पर,
मत करो इसकी सीमा पार।।